मेडिकल फैसिलिटी हर समय पहुंच में हो यह जरूरी नहीं। कई बार जरूरत के वक्त डॉक्टर की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती और न ही छोटी-सी मेडिकल फैसिलिटी। ऐसे में कुछ जुगाड़ू मेडिकल टिप्स काफी काम आते हैं। डॉक्टर भी फौरी तौर पर इन टिप्स को आजमाने में कोई बुराई नहीं मानते। ऐसे ही कुछ जुगाड़ू टिप्स एक्सपर्ट्स की मदद से आप तक पहुंचा रहे हैं नरेश तनेजा:
चोट लगने पर nपानी से जख्म को साफ कर लें। नीम की पत्तियों का उबला पानी हो तो और अच्छा। यह ऐंटी-सेप्टिक होता है। nजख्म पर लगाने के लिए मरहम न हो तो किसी भी तरह की क्रीम में बराबर मात्रा में हल्दी मिलाकर पेस्ट बना लें। ऐसा पेस्ट ऐंटी-सेप्टिक का काम करता है। nपट्टी बांधने के लिए कोई फटा पुराना कपड़ा इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन उसे साफ-सुथरा होना चाहिए। कपड़े को आयरन (प्रेस) कर लें। nअंदरूनी चोट : सरसों के तेल में हल्दी गरम करके रुई से लगाएं। चाहें तो इसकी पट्टी भी बांध सकते हैं। nजख्म से खून बहना : 20 एमएल सरसों का तेल आधा चम्मद पिसी हल्दी और आधा चम्मच पिसी फिटकरी को मिलाकर गरम कर लें। इस मिक्सचर को गुनगुना होने पर हल्के हाथों से रुई के फाहे से घाव पर लगाएं। फिटकरी फौरन खून रोक देती है और हल्दी एक ऐंटी-बायॉटिक है। चाहें तो इसकी पट्टी भी बांध सकते हैं।
सिर दर्द में nअगर बीपी, टेंशन या गैस की वजह से सिरदर्द न होकर सामान्य सिरदर्द हो तो धनिया पाउडर का लेप माथे पर लगाएं। nगैस की वजह से सिरदर्द हो तो एक चम्मच अजवायन, आधा चम्मच काला नमक और चुटकी भर हींग पानी में अच्छी तरह उबालकर गुनगुना होने पर पी लें।
कान में दर्द मुंह से सांस लेकर मुंह और नाक बंद कर लें और हवा का दबाव दर्द वाले कान की तरफ बनाएं।
पेट या शरीर के किसी अंग में सूजन या मोच आने पर अरंड (कैस्टर) के पत्ते को धोकर उस पर सरसों का तेल लगाकर हल्का गरम करके चोट, सूजन या मोच वाली जगह पर कपड़े से बांध दें। रोज अरंड का पत्ता बदलें। nराइस यानी RICE ( रेस्ट, आइस, कॉम्प्रेशन, एलिवेशन) को याद रखें: कहीं भी चोट लगे तो पहले रेस्ट लें उसके बाद बर्फ की सिकाई करें और पैर एलिवेट (ऊपर) कर दें। इमरजेंसी के वक्त दर्द में डॉक्टर के यहां पहुंचने तक राहत मिलेगी।
हर्निया का दर्द nहर्निया का दर्द होने लगे तो लंगोट बांध लें। लंगोट न हो तो साफे या चुन्नी का इस्तेमाल भी लंगोट के रूप में किया जा सकता है।
अंग कट जाने पर अंग कटकर अलग हो जाएं तो कटे अंग पर लगी मिट्टी,गंदगी को साफ पानी से धोएं। इसे साफ कपड़े से पोंछ कर प्लास्टिक की साफ थैली में सील कर दें। अब दूसरी थैली में बर्फ डाल कर पहली थैली को इसमें रख दें। समय बर्बाद न कर तुरंत ऐसे अस्पताल पहुंचे जहां प्लास्टिक सर्जरी करने की सुविधा हो। दो घंटे के भीतर ऑपरेशन हो जाए तो अंग दोबारा जुड़ सकता है।
कॉर्न्स पैरों में कॉर्न की तकलीफ हो तो चप्पल या जूते के तलवे में रुई की परत बनाकर रख लें, सुकून मिलेगा। वैसे मार्केट में इनके लिए कॉर्न कैप्स भी मिलती हैं।
दांतों में दर्द होने पर लौंग का तेल दांतों में लगा लें। तेल न हो तो 2 लौंग को आधा कप पानी में उबालकर उससे कुल्ले कर लें या 1 लौंग को भून कर दर्द वाली जगह पर दबा दें। हिचकियां आने पर nदेसी घी सुंघाएं और नाभि पर भी लगाएं। nनीबू और काला नमक मिलाकर चाट लें। nअगर हिचकियां रुक न रही हों तो एक सांस में थोड़ा-सा पानी पीकर डकार लेने की कोशिश करें।
सर्दियों में सांस की दिक्कत भाप लें। इसके अलावा बादाम रोगन या बादाम तेल की 2-2 बूंदें रात को सोते वक्त नाक में डालें। भाप लेने के बाद भी ऐसा कर सकते हैं। nछाती और पसलियों की सिकाई करें। n1 चम्मच बादाम का तेल पी लें।
खांसी ना रुके तो काली मिर्च के 8-10 दाने पीसकर 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच अदरक रस में मिलाकर दिन में 2-3 बार चाटें। शुगर के रोगी या तो इसमें शहद की मात्रा कम कर लें या सिर्फ थोड़ा-सा काला नमक चाट लें। इससे भी खांसी में फर्क पड़ जाता है। सांस फूलने पर अलसी के बीजों (फ्लेक्स सीड) का चूर्ण आधा-आधा चम्मच सुबह-शाम गुनगुने पानी से लें। इसे किसी भी मौसम में लिया जा सकता है। यह खांसी का भी अच्छा उपाय है। इसकी तासीर जरा गरम होती है इसलिए ज्यादा मात्रा न लें।
गला बैठ जाए 1-मुलैठी मुंह में रखकर चूसें या इसका एक चुटकी चूर्ण 1 चम्मच शहद में मिलाकर चाटें। 2-कुलंजन और धागे वाली मिश्री जिसे सालम मिश्री भी कहते हैं, मुंह में रखें। इसका प्रयोग करते रहने से आवाज भी सुरीली होती है। रेडियो-टीवी या फिल्मों में आवाज का काम करने वाले आवाज को असरदार और मीठी बनाए रखने के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। ये दोनों उपाय गले की खराश के लिए भी अच्छे हैं।
अस्थमा या दमे का दौरा पड़ने पर अचानक रात में दमे का दौरा पड़ने पर आप कोई भी एक वाक्य पूरा बोलें। मसलन, आप बोलकर देखें- 'मेरी सांस फूल रही है।' अगर एक बार में पूरा वाक्य बोल पाते हैं तो अस्पताल में दाखिल होने की जरूरत नहीं है। अगर आप इस वाक्य को 2-3 टुकड़ों में बोल पाते हैं मानें कि आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए। लेकिन, अगर हर शब्द पर आपकी सांस फूल रही है तो समझ लीजिए कि यह मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति है। फौरन डॉक्टर से संपर्क करें।
बार बार पेशाब आने पर 1.5 पत्ते तुलसी, 2 दाने पिसी काली मिर्च, चुटकी भर मुलैठी पाउडर और चुटकी भर नमक मिलाकर एक कप पानी में उबालें। चाहें तो इसमें आधा चम्मच बनफ्शा भी डाल सकते हैं। जब आधा पानी रह जाए तो छानकर शहद मिलाकर पी लें। 2.तिल (काले और सफेद) और गुड़ बराबर मात्रा में खाएं। अगर किसी काले या सफेद में से कोई एक न मिले तो सिर्फ एक भी ले सकते हैं। 3.आधा चम्मच काले और उतने ही सफेद तिल मिलाकर सर्दियों में सुबह और शाम रोज खाएं, ऊपर से गरम पानी पी लें। 4.तिल, अजवायन और गुड़ बराबर मात्रा में आधा-आधा चम्मच मिला कर सुबह-शाम खाने से सर्दी के दिनों में राहत मिलती है। 5.रात में पानी और लिक्विड डाइट कम मात्रा में लें।
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