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ऐलोपैथी और योग: विरोधी नहीं, सहयोगी

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प्रभात गौड़

योग भगाए रोग! यह एक ऐसा जुमला है, जिसने बड़ी तादाद में लोगों को योग की ओर आकर्षित किया है। हालांकि तमाम योगाचार्य रोग मिटाने को योग के उद्देश्य के रूप में स्वीकार नहीं करते और इसे एक लाइफस्टाइल के तौर पर देखते हैं। वैसे, सचाई यही है कि तमाम लाइफस्टाइल संबंधी बीमारियों के साथ कई जटिल बीमारियों को रोकने और उनके इलाज में योग बेहद कामयाब हो रहा है।

योग एक्सपर्ट्स द्वारा किए जाने वाले कुछ अविश्वसनीय दावों को छोड़कर मॉडर्न मेडिकल साइंस को भी योग की इस महिमा को स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं है। तमाम ऐसी साइंटिफिक स्टडीज हो रही हैं, जिनसे साबित होता है कि योग के निरंतर अभ्यास से दवाओं पर निर्भरता कम की जा सकती है और धीरे-धीरे उसे छोड़ा भी जा सकता है।

विरोधी नहीं, सहयोगी

ऊपरी तौर पर देखने में भले ही योग और मॉडर्न मेडिकल साइंस के सिद्धांतों में फर्क नजर आए, लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं। इन दोनों के बीच कोई विरोधाभास नहीं है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट और हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल कहते हैं, 'योग में जो कुछ भी है, वह मॉडर्न मेडिसिन में भी है। योग में जलनेति है, मॉडर्न मेडिसिन में नेजल वॉश है। योग में बस्ति होता है, हमारे यहां एनिमा है। वहां प्राणायाम है तो हमारे यहां भी स्लोअर और डीप ब्रीदिंग की बात की जाती है। वहां आसन हैं तो हम भी कहते हैं कि स्पाइन को सीधा रखो। वहां शवासन है तो हम भी माइंड-बॉडी रिलैक्सेशन की बात करते हैं।'

वे कहते हैं कि भोजन ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक होना चाहिए, हम भी ऐसा ही कहते हैं। वहां योगिक लाइफस्टाइल होता है, हमारे यहां उसे ही पैरासिंपैथेटिक लाइफस्टाइल कहा जाता है। योग में चक्र की बात होती है, मॉडर्न मेडिसिन में ऑटोनोमिक प्लेक्सेज होते हैं। इस तरह योग की हर चीज ऐलोपैथी में मौजूद है। जाहिर है, मॉडर्न मेडिकल साइंस का योग के साथ कोई टकराव नहीं।'

जटिल बीमारियों में है सीमा

ऐसी कई साइंटिफिक स्टडी हुई हैं, जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि योग से डायबिटीज, हाई बीपी, दिल के रोग, मोटापा, अस्थमा, श्वसन संबंधी रोग और डिप्रेशन जैसी तमाम बीमारियों में फायदा मिलता है। रिसर्च बताती हैं कि गंभीर बीमारियों से पीड़ित जिन मरीजों को दवाओं के साथ योग भी कराया गया, वे सिर्फ दवाओं के भरोसे रहने वाले मरीजों की तुलना में तेजी से ठीक हुए।

कई योग एक्सपर्ट योग की मदद से कैंसर और एड्स जैसे जटिल रोगों को भी ठीक करने का दावा करते हैं। इसे साबित करने के लिए उनके पास अपनी रिसर्च हैं, लेकिन मॉडर्न मेडिकल साइंस ऐसी स्टडीज को मान्यता नहीं देता। डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि योग में बड़ी शक्ति है। इसके बल पर अपनी सोच को बदलकर ही गंभीर बीमारी से मुक्ति पाई जा सकती है, लेकिन यह काम सिर्फ बड़े योगी ही कर सकते हैं। आम लोगों के लिए कैंसर जैसे जटिल रोगों को योग की मदद से ठीक कर पाना संभव नहीं है।

दरअसल, मॉडर्न मेडिसिन में माना जाता है कि कैंसर जैसी जटिल बीमारियों के कुछ मरीज बिना दवा के अपने आप भी ठीक हो जाते हैं, लेकिन उनकी संख्या नाममात्र है। ऐसे मरीजों का ही क्रेडिट योग के जानकार ले लेते हैं और कहते हैं कि वे योग से ठीक हुए हैं। वैसे, इसमें कोई शक नहीं कि लाइफस्टाइल से संबंधित तमाम रोगों को योग की मदद से होने से बचाया जा सकता है और ठीक भी किया जा सकता है।

नशे की लत छुड़ाने में असरदार

नशे की लत से छुटकारा दिलाने में योग अहम भूमिका निभा रहा है। पिछले दिनों एम्स में एक स्टडी की गई। इस स्टडी में नशे की लत के शिकार हुए युवाओं को आसन और प्राणायाम कराए गए। स्टडी में शामिल लोगों पर योग के असर को तीन तरह से जांचा गया, जिसमें फिजिकल, सोशल और साइकॉलजिकल असर को देखा गया।

इसमें कुछ मरीजों को केवल दवा दी गई और इसके जरिए ही उनकी लत को कंट्रोल करने की कोशिश की गई, लेकिन ऐसे मरीजों में कोई सुधार नहीं आया। जिन मरीजों को दवा के साथ-साथ योग भी कराया गया, उनमें तीन से छह महीने के अंदर काफी बदलाव पाया गया।

HIV पैशंट्स का हीमोग्लोबिन बढ़ा

एक और स्टडी में पाया गया कि योग के जरिये एचआईवी मरीजों के हीमोग्लोबिन लेवल में बढ़ोतरी हुई। आईसीएमआर ने 60 मरीजों पर 12 हफ्ते तक स्टडी की, जिसमें एचआईवी के मरीजों में योग की बदौलत सुधार देखने को मिला। इस स्टडी में सुदर्शन क्रिया की मदद ली गई। स्टडी में पाया गया कि ऐसे मरीजों में हीमोग्लोबिन 13.9 से बढ़कर 15.4 ग्राम तक पहुंच गया।

एक निश्चित समय के बाद मरीजों में सीडी फोर सेल्स के साथ ही हीमोग्लोबिन, बॉडी मास इंडेक्स, ब्लड प्रेशर और ग्लूकोज में सुधार देखा गया। इस स्टडी के बाद नाको एचआईवी मरीजों को दी जाने वाली एंटी रिट्रोवाइटल थेरपी के साथ अब योग को भी इलाज में शामिल कर सकता है।

भागी डिप्रेशन की बीमारी

गंगाराम अस्पताल में साल 2002 से योग सेंटर खुला हुआ है। यहां के योग एक्सपर्ट रमेश चंद्रा कु मुताबिक, उनके पास 40 साल के एक मरीज को अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग से भेजा गया था। मरीज डिप्रेशन का शिकार था। डेढ़ साल पहले उसे डिप्रेशन से निकालने के लिए योग के जरिए इलाज शुरू किया गया। आज वह पूरी तरह फिट हैं। अभी सेंटर में पांच से छह मरीजों का इलाज किया जा रहा है। उनकी डिप्रेशन की दवा अब बंद हो चुकी है, नींद अच्छी आ रही है और अब वे फिट हैं।

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