दुनिया भर की कंपनियां और समाज हार्ड वर्कर से ज्यादा स्मार्ट वर्कर तलाशने लगी हैं और इस तलाश में भोला-भाला हमेशा काम में लगा रहने वाला मिस्टर भोलू कहीं खो गया है। हर काम को चुपचाप और सलीके से करने वाले लोग कैसे तरक्की के दौर में पिछड़ते जा रहे हैं और कैसे वो स्मार्ट हो कर मिस्टर कूल में तब्दील हो सकते हैं, एक्सपर्ट्स की मदद से बता रहे हैं अमित मिश्रा: तकरीबन हम सबने कछुए और खरगोश की कहानी सुनी है और कछुए की जीत को भलाई की जीत की तरह देखा है। लेकिन अब वक्त बदल रहा है, कछुए का जीतने की बात को बाद की है अब तो उसे दौड़ में शामिल ही नहीं किया जाएगा। हालात यह हैं कि खरगोशों की दौड़ में भी स्मार्ट खरगोश बाजी मार लेता है और राइट खरगोश हांफता रह जाता है। आखिर क्या है, जो हर अच्छाई के बाद भी मिस्टर भोलू पीछे रह जाते हैं और तकड़मी मिस्टर चालू बाजी मार ले जाते हैं। सबकुछ छिपा है एक खास तरह के बैलेंस में। आप मिस्टर भोलू या मिस्टर चालू जिंदगी की दौड़ में इस बात को जानना सबसे जरूरी है कि आप आखिर आते किस कैटगिरी में हैं। कुछ बेसिक फर्क कैटगिरी तय कर देते हैं। मिस्टर भोलू : 1.चुप्पा सबसे भला ऐसे लोग अक्सर चुपचाप अपना काम करते हैं और इसे ही आगे बढ़ने का एक जरिया मानते हैं। वह यह भूल जाते हैं कि उनके आसपास ऐसे लोग भी हैं जो बिना कुछ किए भी बातों के दम पर ही आगे बढ़ने का रास्ता खोज लेते हैं। कई बार तो आसपास के लोग मिस्टर भोलू के कम बोलने का फायदा उठा कर उसके काम का क्रेडिट भी खुद ही ले लेते हैं। ऐसे लोग भले ही बेहतरीन बैकग्राउंड से आए हों और अपने जमाने में हरफनमौला रहे हों लेकिन अपने बारे में लोगों को बताना बड़बोलापन समझते हैं। चाहें बेहतरीन स्पोर्टस एक्टिविटी हो या गजब की सिंगिंग क्वॉलिटी मिस्टर भोलू इसे खुद तक ही सीमित रखने को बड़बोलेपन की सबसे बड़ी काट समझते हैं। वो मानते हैं कि अपने बारे में बातें करना शालीनता के खिलाफ है और अच्छे लोग ऐसा कतई नहीं करते। क्या किया:भोलू ने ऑफिस में बड़े इवेंट की तैयारी में हाथ बंटाया और चुपचाप घर रवाना हो गए। न किसी को साथ लिया और न किसी को बताया, यहां तक कि अपने बॉस को। मिस्टर चालू मौके को ताड़ गया और सारे किए कराए का क्रेडिट लेकर तारीफ बटोरने लगा। क्या करें: भोलू को सबसे पहले अपने बॉस से मदद की बात डिस्कस करनी चाहिए थी और साथ ही बाकियों को हाथ बंटाने के लिए बुलाना भी चाहिए था। ऐसे में बॉस के साथ बाकी लोग भी भोलू के गुणों से वाकिफ होते। 2.मैं नीचे, सब ऊपर मिस्टर भोलू खुद को प्राथमिकता की सूची में सबसे नीचे रखते हैं। कितना भी अच्छा प्रोग्राम अपने लिए बनाया हो लेकिन दोस्तों का दबाव पड़ते ही प्रोग्राम डावांडोल होने लगता है और दोस्तों का बनाए प्रोग्राम में शामिल होना पड़ता है। इसका कारण यह होता है कि उन्हें लगता है कि दोस्त क्या कहेंगे या दोस्त बुरा मान जाएंगे। कई बार तो वह यह भी नहीं जान पाते कि दोस्त उसे साथ इसलिए ही ले जा रहे हैं क्योंकि उन्हें मजा लेने के लिए एक ऑब्जेक्ट चाहिए। क्या किया: मिस्टर भोलू ने छुट्टी के दिन परिवार के साथ मूवी देखने का प्रोग्राम बनाया और जिगरी दोस्त का फोन आ गया। पुरानी दोस्ती का वास्ता देने पर भोलू ने अपना प्रोग्राम दोस्तों के हिसाब से बदल लिया और दोस्तों के साथ हो लिया। न खुद एंजॉय किया न फैमिली को खुश कर पाया। क्या करें: अपने दोस्तों को साफ बता देना चाहिए था कि उसका पहले ही फैमिली के साथ प्रोग्राम बन चुका है और फिलहाल वह नहीं जा सकता। हां, अगर ऐसा कोई प्रोग्राम किसी दूसरी छुट्टी के दिन बनाए तो वह चलने को तैयार है। दोस्तों के तानों और उलाहनों को पंचर करने के लिए तो एक मुस्कान ही काफी है। 3.शर्म में सब कुर्बान शर्म को शरीफ का गहना माना जाता है। अपनी तारीफ होते ही या वाहवाही मिलते ही मिस्टर भोलू शर्म से पानी-पानी होने लगता है और धरती में गड़ने जैसा फील करने लगता है। सार्वजनिक रूप से अपनी तारीफ सुनना ऐसे लोगों के लिए सबसे बड़ी झेप बन जाता है। आगे बढ़ने की राह में उनकी शर्म रोड़े अटकाती रहती है। मिस्टर भोलू को अपनी सफलता हमेशा तुक्का नजर आती है और उन्हें लगता रहता है कि ऐसा तो कोई भी कर सकता है। मिस्टर भोलू की सादगी अपने हर तीर को तुक्का मानने के लिए प्रेरित करती रहती है। चाहें कोई बड़ा प्रफेशनल माइल स्टोन हो या कोई निजी एचीवमेंट वह हर बात को 'कोई भी कर सकता है' के जुमले के साथ हवा में उड़ा देते हैं। क्या किया: बेहतरीन काम के लिए मिस्टर भोलू को टीम ने काफी सराहा और सेलिब्रेट करने का मूड बनाया। बॉस का प्लान था कि अगले दिन जब पूरा ऑफिस मौजूद हो तो मिस्टर भोलू को केक काट कर सराहा जाए। भोलू अपनी तारीफ के डर से अगले दिन ऑफिस ही नहीं आया। पूरे ऑफिस के सामने तारीफ की हिम्मत जुटाना उसके बस की बात नहीं थी। क्या करें: अपने साथियों से मिलने वाला प्यार जितना जरूरी है उतनी ही जरूरत तारीफ की भी है। अपनी तारीफ को खुले दिल से स्वीकार करना चाहिए था और हमेशा अपना साथ देने वालों का नाम भी तारीफ के वक्त लोगों के बीच रखना चाहिए था। 4.जो मुझमें वो सबमें मिस्टर भोलू सब कुछ अच्छा करने के चक्कर में यह भूल जाते हैं कि कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें वो चाह कर भी किसी से शेयर नहीं कर सकते मिसाल के तौर पर अपनी खास खूबियां जैसे बेहतरीन प्लानिंग करने का तरीका या लैंग्वेज पर कमांड। चूंकि सादगी का तकाजा है कि जो भी आपका है वो सबका है इसलिए अपनी पर्सनालिटी के बेशकीमती नगीनों को दुत्कार कर मिस्टर भोलू अपनी राह मुश्किल बनाते जाते हैं। जैसे वो अपने घर और सोसाइटी की जरूरत के लिए हर चीज कुर्बान करने को तैयार रहते हैं वैसे ही वह अपनी पर्सनालिटी के बेहतरीन पक्ष को भी भाव नहीं देते। क्या किया: मिस्टर भोलू के खास टैलंट को देखते हुए उन्हें ऑफिस की कोर टीम में शामिल होने का बुलावा आया। मिस्टर भोलू ने अपने स्वभाव के मुताबिक इसमें शामिल होने से मना कर दिया। साथ ही यह भी कहा मुझमें ऐसा कुछ खास नहीं है और यह तो कोई भी कर सकता है। क्या करें: हिचक को किनारे रख कर पहले कोर टीम का रोल जानना चाहिए था। उसके बाद अपनी क्वॉलिटी को अनलाइज करके उसमें शामिल होने पर हामी भरनी चाहिए थी। इससे न केवल ऑफिस में उसका रुतबा बढ़ता बल्कि कोर टीम में होने से उसके टैलंट का फायदा पूरे ऑफिस को होता। 5.पैरवी में पस्त चाहें अच्छी हो या बुरी, पैरवी नाम से उन्हें मिस्टर भोलू को सख्त दिक्कत होती है। बुरे या कमतर की पैरवी की बात तक तो ठीक है लेकिन अच्छा काम करने वाला भी जब मौका पड़ने पर मिस्टर भोलू से तारीफ या रिक्मेंडेशन के दो शब्द नहीं सुनता तो मायूस हो जाता है और इस तरह मिस्टर भोलू जैसे लोग अकेले पड़ते जाते हैं। ऊसूलों को पत्थर की लकीर बना कर जीने वाला मिस्टर भोलू यह भूल जाता है कि उसके ऐसा करने से कई मिस्टर भोलू पिछड़ते जा रहे हैं और उनकी राह मुश्किल होती जा रही है। क्या किया: मिस्टर भोलू का एक टैलंटेड जूनियर ने जब उससे अपने प्रमोशन के लिए रिक्मेंडेशन मांगा तो यह बात मिस्टर भोलू को अपने उसूलों पर चोट जैसी लगी। उन्होंने साफ कह दिया अगर टैलंटेड होगे तो खुद-ब-खुद आगे बढ़ जाओगे। मैं क्यों करूं पैरवी। इसका परिणाम यह हुआ कि भोलू ने ऑफिस में अपना एक हमदर्द और साथी खो दिया। क्या करें: टैलंटेड इंसान के आगे बढ़ने का भाषण तो ठीक था लेकिन संतुलित ढंग से किसी की पैरवी करने में कोई बुराई नहीं है। मिस्टर भोलू को रिक्मेंडेशन के साथ यह बता देना चाहिए था कि पैरवी के पीछे जूनियर का अच्छा काम है और उसके बेहतर रोल में होने पर पूरे ऑफिस को फायदा होगा। मिस्टर चालू: 1.बोल-बोल के बोल ऑफिसों में अक्सर एक कहावत सुनने को मिलती है 'काम करो या न करों काम का जिक्र जरूर करो और अगर जिक्र भी न कर सको तो उसकी फिक्र जरूर करो'। मतलब साफ है कि मिस्टर चालू जितना काम करते हैं उससे ज्यादा उसकी बातें करते हैं और अगर बातें करने में पीछे रह जाते हैं जो उस काम को लेकर अपनी गंभीरता का ऐलान हर वक्त करते रहते हैं। ऐसा करने से वह न केवल लोगों में यह इंप्रेशन बनाने में सफल हो जाते हैं कि वह बहुत काम करते हैं साथ ही वह मिस्टर भोलू को नीचा दिखाने का मौका भी नहीं गंवाते। कैसे निपटें: बेहतर होगा अपने काम के साथ आसपास वाले के काम का हिसाब भी रखें। अगर कोई अपने काम को बढ़ा-चढ़ा कर बताए तो मौका मिलने पर स्थिति साफ करें। बहस में न पड़ें, तथ्यों पर बात करें। मिस्टर चालू की पोल एक-दो बार खुलने की देर है, उनमें सुधार आने लगेगा। 2.मैं हूं सुपरस्टार अपने को सबसे ऊपर मानना मिस्टर चालू का पहला गुण है। वह भले ही कोई काम अच्छी तरह से न कर सके लेकिन दिखाता यही है कि वह सबसे अच्छा कर सकता है। पार्टी करना हो या कोई काम या किसी सोसाइटी का कामकाज खुद को सुपरस्टार मानना और जताना मिस्टर चालू का पहला हक होता है। ऐसा करके वह एक तरह का ब्रेन गेम खेलते हैं और अपने कंपिटिशन को पनपने से पहले ही दबा देते हैं। हरफनमौला को सामने देखते ही बाकियों की सिट्टी-पिट्टी गुम होने लगती है। कैसे निपटें: खुद पर भरोसा रखें। एक बात को गांठ बांध लें कि कोई भी इंसान हर काम अच्छी तरह से नहीं कर सकता और कोई भी इंसान ऐसा नहीं होता जो कुछ भी अच्छा न कर सके। अपनी खूबियों को पहचानें और मौका पड़ने पर उन्हें सामने लाएं। कंपिटिशन में न उतरना हार जाने से भी बुरा है। 3.फूट डालो राज करो ऐसे लोग अपने ऊपर के लोगों में भी फूट डालने का काम करते रहते हैं। साफ है कि ऊपर के अधिकारियों में ही इस तरह का कंपिटिशन पैदा कर दिया जाए कि उसका रास्ता साफ हो जाए। ऐसा करने से मिस्टर चालू अपनी जिम्मेदारी से बच निकलते हैं क्योंकि अपने पंगे निपटाने में बिजी सीनियर उस पर ध्यान ही नहीं दे पाते और जो दे भी पाते हैं वो इसे अपना हितैशी समझ कर कृपा बरसाते रहते हैं। अपने साथियों को भी एक दूसरे के बारे में सीमित जानकारी देकर तनाव बनाए रखते हैं, जिससे उनका दबाव कायम रहे। कैसे निपटें: अपनी टीम और बॉस को इतना स्पेस दें कि वो किसी कंफ्यूजन में आपसे बात कर सकें। अगर कोई कहे कि फलां शख्स आपके बारे में ऐसा कह रहा था तो जाकर दोस्ताना तरीके से मसला सुलझाएं। उसे यह भी बताएं कि आपको ऐसा किसने बताया। इससे एक तरफ आपकी गलतफहमी दूर होगी साथ ही लोग जान जाएंगे कि फूट डालने का काम कौन कर रहा है। याद रखें कि झूठ के पांव नहीं होते। 4.बेहिसाब बेशर्म मिस्टर चालू को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्हें फायदा उठाने के लिए किसी की मक्खनबाजी करनी होगी या भलाबुरा सुनना होगा। उन्हें तो बस अपना उल्लू सीधा करने से मतलब होता है। वह अपनी ईगो को बड़ी चतुराई से दबा लेते हैं। मिस्टर भोलू जहां अपनी ईगो को संभाल कर रखने में जितना वक्त लगाते हैं उतने ही वक्त में मिस्टर चालू अपनी ईगो को दबा कर काम निकाल कर चंपत होते हैं। बेशर्म के लिए साधन का कोई महत्व नहीं होता उसका फोकस हमेशा साध्य (जो उसे चाहिए) पर होता है। मिस्टर चालू भले हो सोसाइटी में इस बात की डींग हांकें कि वह किसी से नहीं डरते और न किसी की फिक्र करते हैं लेकिन असल में जरूरत पड़ने पर वह किसी के भी पैर पकड़ने से गुरेज नहीं करते। अक्सर मिस्टर चालू अपनी चरण चंपन की टेक्निक उस माहौल में काफी अच्छी तरह से चला पाते हैं जहां बॉस को चापलूसी का शौक हो। मिस्टर चालू अपने बॉस की एक ऐसी खूबी को पकड़ लेता है जिसके बारे में कम ही लोग जानते हो और फिर वह तब तक तारीफ करता है जब तक कि बॉस तरीफ के सामने नतमस्तक न हो जाए। कैसे निपटें: ईगो को सेल्फ रेस्पेक्ट का नाम देकर सफलता के रास्ते न बंद करें। अगर किसी से फेवर मांगना है या संबंधों में गर्माहट लानी है तो अपनी तरफ से पहल करने में कोई बुराई नहीं है। किसी सुधार के लिए दिया गया टिप्स जरूरी नहीं कि बेइज्जती करने के लिया दिया गया हो। इसे परख कर देखें। जिंदगी में दोस्तों से बेहतर सुधार आलोचक लाते हैं। 5.उल्टी पैरवी का जाल मिस्टर चालू सबके बीच भला रहने और मिस्टर भोलू को राइट टाइम रखने के लिए उल्टी पैरवी का खतरनाक जाल बुनते हैं। उल्टी पैरवी का सीधा मतलब है किसी इंसान की पैरवी तो करना लेकिन उसमें ऐसे ढीले फैक्ट डाल देना कि ऊपर बैठा अधिकारी मन बदल ले। मिसाल के तौर पर किसी की होम डिस्ट्रिक्ट में पोस्टिंग की पैरवी करने में यह जोड़ देना कि होम डिस्ट्रिक्ट में पहुंचने पर मिस्टर भोलू अपने फैमिली बिजनेस और घर का काफी ख्याल रखने के साथ दोस्तों के साथ भी टाइम बिता सकेगा, होम डिस्ट्रिक्ट में ट्रांस्फर के सारे प्लान पर पानी फेर सकता है। कोई भी कंपनी अपने एंप्लाई का अटेंशन लूज नहीं करना चाहेगी। कैसे निपटें: किसी बड़े बदलाव की जानकारी बदलाव के पुख्ता हो जाने से पहले कतई न दें। बेहतर होगा अपनी खुशी के इजहार खुद तक रखें। जिन लोगों से आप ट्रांस्फर से मिलने वाली सहूलियतों की खुशियां बांट रह हैं उनमें खुद मिस्टर चालू या उनका कोई भेदिया हो सकता है। मिस्टर भोलू कैसे बनें मिस्टर परफेक्ट एक बार जंगल में एक सांप ने एक ऋषि से प्रभावित होकर खुद को बदलने के बारे में सोंचा। ऋषि ने उसे समझाया कि अगर शरीफ बनना है तो काटना छोड़ दो। सांप ने ऐसा ही किया। जब वह एक गांव पहुंचा तो लोगों ने उसे पत्थर मारने शुरू कर दिए। बच्चे उसे उठा कर इधर-उधर पटकने लगे। लहूलुहान होकर सांप फिर ऋषि के पास पहुंचा और बोला आपकी न काटने की सलाह मान कर मेरा यह हाल हुआ है, अब मैं क्या करूं? ऋषि ने मुस्कुराते हुए कहा मैंने काटने के लिए मना किया था फुंफकारने के लिए नहीं। दुनिया का दस्तूर है कि जब तक डरेंगे नहीं तब तक मानेंगे नहीं। जब भी एक मिस्टर भोलू हारता है एक मिस्टर चालू जीत जाता है लेकिन साथ ही एक परिवार या ऑर्गेनाइजेशन एक मिस्टर परफेक्ट को भी खो देता है। एक ऐसे मिस्टर परफेक्ट को जो सीधा-सच्चा तो है लेकिन हर पैंतरे से सतर्क है और सीढ़ियां चढ़ता जाता है। मिस्टर भोलू और मिस्टर चालू के बारे में जानने के बाद हम सबको लग सकता है कि हममें ये दोनों ही हैं। किसी में मिस्टर भोलू ज्यादा तो किसी में मिस्टर चालू। चुनौती है इसे बैलेंस करने की। सीधा सा फंडा है जिसे जितना मजबूत करेंगे वो इतना ही कारगर होगा। एक बार जब महात्मा गांधी से जब पूछा गया कि अगर आपको हिंसा और कमजोरी में किसी को चुनना पड़े तो किसे चुनेंगे तो महात्मा गांधी का जवाब था हिंसा। मिस्टर भोलू या कोई भी शरीफ इंसान तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक उसके पास ताकत न हो। मिस्टर भोलू को यह समझना होगा कि ताकत और कुछ ट्रिक्स के जरिए ही वह मिस्टर चालू से पार पा सकता है। आइए जानतें हैं ऐसे टिप्स मिस्टर चालू को मात देकर मिस्टर भोलू को बना देंगे मिस्टर परफेक्ट 1. शैली बदलें आदर्श नहीं अक्सर देखने में कि मिस्टर भोलू जिसे आदर्श मान लेते हैं उसे पकड़ कर बैठ जाते हैं। वह यह नहीं सोचते कि जिस कालक्रम में उनका आदर्श पैदा हुआ था उसमें बदलाव आ चुका है। आदर्श के अपनी शैली में ढालें और बहाव के साथ बहें न कि खिलाफ। आदर्श पर अडिग रहें लेकिन स्टाइल वही अपनाएं जो हिट हो। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर आप ईमानदार हैं तो दबंग बनें। ऐसा करके आप ईमानदार बने रह सकेंगे और आपका रास्ता काटने वाले भी सोच समझ कर आपके सामने आएंगे। 2.श्रेय चोरी होनें से बचाएं अपने विचार और काम का श्रेय लिए बिना मिस्टर भोलू मिस्टर परफेक्ट नहीं बन सकता। ऐसे में श्रेय बचाना बहुत जरूरी है। - अपने बेहतरीन विचारों को दस्तावेज की शक्ल में रखें। आप उन्हें गूगल ड्राइव आदि पर भी सेव करके रख सकते हैं। ऐसा करने से आप कभी भी सिद्ध कर सकेंगे कि आपके विचार के पीछे की तैयारी कहां से हुई है। - काम का प्रमाण छोड़ने की आदत बनाएं। बेहतर होगा अपने विचार या आइडिया ईमेल या नोट के जरिए अपने बॉस तक पहुंचाएं। इससे श्रेय चुराना मुश्किल होगा। - अपने आससाप के लोगों से भी अपने विचार और आइडिया शेयर करते रहें। इससे मौका पड़ने पर कोई गवाह सामने लाने में सहूलियत होगी। याद रहे जो विचार सबसे पहले पहुंचता है उसे ही तरजीह मिलती है। 3. डींग को करें बेअसर अगर कोई मिस्टर चालू डींग हांक रहा हो तो खामोश रहें और इग्नोर करें। अगर यह काम न आए तो उसके डींग के गुब्बारे को अपनी डींग के पिन से फोड़ दें। ऐसा करते ही मिस्टर चालू पटरी पर आते नजर आएंगे। 4.मिस्टर भोलू को जोड़ें अक्सर देखने में आता है कि मिस्टर चालू अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों और चमक-दमक से लोगों को खुद से बांधे रखते हैं। ऐसा करने से उनका गुट काफी मजबूत हो जाता है और आगे बढ़ने का रास्ता साफ हो जाता है। इसके विपरीत मिस्टर भोलू अपनी ईगो को पाल कर तितर-बितर पड़े रहते हैं और जरूरत पड़ने पर एक दूसरे के काम नहीं आते। जरूरी है कि मिस्टर चालू से मुकाबला लेने के लिए कई मिस्टर भोलू इकट्ट्ठा हों और दुनिया को कई मिस्टर परफेक्ट दें। 5.भूल जाओ आगे बढ़ो अक्सर देखने में आता है कि जो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता दिल नहीं दुखाता वह दूसरे के बर्ताव से काफी आहत हो जाता है। खुद को एक खोल में समेट लेता है और घुलता रहता है। मिस्टर चालू हमेशा मिस्टर भोलू की इस कमी से वाकिफ होते हैं और बड़ें दांव के तौर पर मिस्टर भोलू को जहनी तौर पर झकझोरने की कोशिश करते हैं। पैंतरे के तौर पर खुलेआम मजाक बनाना, किसी भी बात पर हंस देना या बुलींग करना आदि जैसी हरकतें करते हैं। बेहतर होगा कि मिस्टर भोलू इन बातों को नजर अंदाज करें और पैंतरे की तरह पहचान लें। अगर कुछ बुरा लगे भी तो भूल कर आगे बढ़ें और अपने गोल के बारे में ख्याल करें। 6. मिस्टर चालू को मारेंगे सुपर मिस्टर चालू एक बात अच्छी तरह से समझ लें कि मिस्टर चालू को खत्म करने की जिम्मेदारी मिस्टर भोलू की नहीं है। उसके लिए तो वहां मौजूद मिस्टर चालू ही काफी हैं। हर मिस्टर चालू अपने आसपास मिस्टर चालू ही जमा करता है। ऐसे में जाने अनजाने वह अपने आसपास भारी कंपिटिशिन तैयार कर देता है। इसके बाद बस मौके का इंतजार होता है और कोई सुपर मिस्टर चालू मिस्टर चालू को पटखनी दे देता है। 7.भलाई हार नहीं सकती एक कहावत है कि दुनिया का दुर्भाग्य है कि सारे बुद्धिमान अपने हर विचार को लेकर कंफ्यूज हैं तो सारे बेककूफ अपने विचारों को लेकर आश्वस्त। कुछ ऐसा ही हाल मिस्टर भोलू और मिस्टर चालू का है। मिस्टर चालू अपनी सफलता को लेकर जितने आश्वस्त होते हैं मिस्टर भोलू अपने को लेकर उतने ही कंफ्यूज। यह एक कुदरती सच है कि भलाई परेशान हो सकती है लेकिन आखिरी में जीत उसकी होती है। कोई भी जंगली पेड़ कभी भी छायादार बरगद या फल देने वाले पेड़ों की तरह नहीं पनपता, बस छोटा ही रह जाता है। मिस्टर भोलू दिल को मजबूत रखें और मान लें कि वह मिस्टर भोलू से मिस्टर परफेक्ट की यात्रा पर चल चुके हैं।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।