सेहत के लिए फायदेमंद चीजों में सबसे ज्यादा पॉपुलर अगर हाल में कुछ हुआ है तो वह है ग्रीन टी। ग्रीन टी की तमाम खूबियां हैं, लेकिन कुछ खामियां भी हैं। एक्सपर्ट्स से ग्रीन टी पर देने राय लेकर आईं प्रियंका सिंह इस पर पूरी जानकारी दे रही हैं।
कितनी तरह की होती है चाय
• सीटीसी (कट, टीयर एंड कर्ल)
यह अलग-अलग ब्रैंड्स के तहत बिकने वाली चाय है जो आमतौर पर घर, रेस्तरां और होटल आदि में इस्तेमाल की जाती है। इसे तैयार करने में आमतौर पर चाय की बड़ी और गहरी हरी पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें सुखाकर दानों का रूप दिया जाता है। इस प्रोसेस के दौरान कुछ चीजें डाल कर चाय का टेस्ट बेहतर किया जाता है और इसकी महक भी बढ़ाई जाती है। लेकिन इससे यह ज्यादा नेचरल नहीं रहती और न ही हेल्थ के लिए ज्यादा फायदेमंद।
• ग्रीन टी (नेचरल टी)
यह चाय की नरम पत्तियों से बनती हैं। यह चाय बेहद गुणकारी है। इसे प्रोसेस नहीं किया जाता। इसे पत्तियों को सुखाकर तैयार किया जाता है। वैसे, सीधे पत्तियों को तोड़कर भी चाय बना सकते हैं। इसमें एंटी-ऑक्सिडेंट सबसे ज्यादा होते हैं। ग्रीन टी काफी फायदेमंद होती है, खासकर अगर बिना दूध और चीनी की पी जाए। इसमें कैलरी भी नहीं होती। वैसे, ग्रीन टी से ही हर्बल और ऑर्गेनिक टी आदि तैयार की जाती हैं। इस रूप में ग्रीन टी सेहत के लिए और भी फायदेमंद हो जाती है।
ग्रीन टी तरह-तरह की होती है...
• ऑर्गेनिक टी: जिस चाय के पौधों में पेस्टिसाइड और केमिकल फर्टिलाइजर आदि नहीं डाले जाते, उनसे तैयार चाय को ऑर्गेनिक टी कहा जाता है। यह सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद है। ऑर्गेनिक टी अलग-अलग फ्लेवर में भी मिलती है।
• वाइट टी: यह सबसे कम प्रोसेस्ड टी है। कुछ दिनों की कोमल पत्तियों से इसे तैयार किया जाता है। इसका स्वाद हल्का मीठा और काफी अच्छा होता है। इसमें कैफीन सबसे कम और एंटी-ऑक्सिडेंट सबसे ज्यादा होते हैं। इसके एक कप में सिर्फ 15 एमजी कैफीन होता है, जबकि ब्लैक टी के एक कप में 40 एमजी और ग्रीन टी में 20 एमजी कैफीन होता है।
• हर्बल टी: ग्रीन टी में कुछ जड़ी-बूटियां मसलन तुलसी, अदरक, अश्वगंधा, इलायची, दालचीनी आदि मिला देते हैं तो हर्बल टी तैयार होती है। इसमें कोई एक या तीन-चार हर्ब मिलाकर भी डाल सकते हैं। यह सर्दी-खांसी में काफी फायदेमंद होती है, इसलिए दवा की तरह भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसमें जैसमिन, पेपरमिंट, चैमिमाइल, फ्लोरल जैसी कई वैरायटी आती हैं। हालांकि सभी तरह की हर्बल टी पर पूरा भरोसा भी नहीं किया जा सकता क्योंकि यह पता करना काफी मुश्किल है कि उसमें कौन-सी हर्ब्स (जड़ी-बूटियां) इस्तेमाल की गई हैं और उनकी क्वॉलिटी कैसी है।
आजकल स्ट्रेस रीलिविंग (तनाव कम करनेवाली), रिजूविनेटिंग (स्फूर्तिदायक) और स्लिमिंग टी (वजन कम करनेवाली) भी खूब चलन में हैं। इनमें कई तरह की जड़ी-बूटियां आदि मिलाई जाती हैं। मसलन ब्राह्मी रिलैक्स करती है तो दालचीनी ताजगी देती है और तुलसी हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। इसी तरह स्लिमिंग टी में वजन कम करने वाले तत्व पाए जाते हैं। हालांकि इसके साथ एक्सरसाइज और डाइट कंट्रोल भी जरूरी है।
ग्रीन टी के फायदे
• ग्रीन टी में ज्यादा मात्रा में बेस्ट एंटी-ऑक्सिडेंट होते हैं जो बढ़ती उम्र से शरीर के सेल्स को होनेवाले नुकसान को कम करते हैं और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर कई बीमारियों से बचाव करते हैं।
• किसी भी तरह की चाय में कैफीन होते हैं जो स्टीमुलेटर होते हैं। इनसे शरीर में फुर्ती का अहसास होता है। कैफीन आपको अलर्ट और स्मार्ट बनाता है। हालांकि कैफीन लिमिट में ही लेना चाहिए।
• ग्रीन टी में मौजूद एल-थियेनाइन नामक कंपाउंड दिमाग को ज्यादा अलर्ट, लेकिन शांत रखता है यानी ब्रेन बेहतर काम करता है।
• ग्रीन टी में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। इससे इन्फेक्शन का खतरा कम होता है।
• यह BMR यानी बेसल मेटाबॉलिक रेट को बढ़ाती है। इससे वजन कम करने में मदद मिलती है।
ग्रीन टी की अति से नुकसान
कहते हैं ना कि अति किसी भी चीज की बुरी होती है। यह बात ग्रीन टी पर भी लागू होती है। दिन भर में 5 कप से ज्यादा ग्रीन टी पीने पर इसमें मौजूद कैफीन और टैनिन पेटदर्द, उलटी, कब्ज, सिरदर्द, नींद न आना, बेचैनी, डायरिया, सीने में जलन, चक्कर आना, कानों में झनझनाहट आदि की वजह बन सकते हैं। ग्रीन टी ज्यादा पीने से ये नुकसान भी हो सकते हैं।
• ग्रीन टी में मौजूद टैनिन पेट दर्द या कब्ज की वजह बन सकता है। जिन लोगों के पेट में अल्सर हो या एसिडिटी की दिक्कत ज्यादा रहती हो उन्हें ग्रीन टी ज्यादा नहीं पीनी चाहिए।
• ग्रीन टी ज्यादा पीने से खाने में मौजूद आयरन खासकर नॉन-हीम आयरन शरीर अच्छी तरह अब्जॉर्ब नहीं कर पाता। नॉन-हीम आयरन अंडे, डेयरी प्रॉडक्ट्स के अलावा पौधों (फल-सब्जियों, अनाज, नट्स आदि) में पाया जाता है। ग्रीन टी में अगर नीबू मिला लिया जाए या इसे विटामिन-सी वाले खाने (ब्रोकली आदि) के साथ पिएं तो नॉन-हीम आयरन बेहतर जज्ब होता है।
• अगर आपको अनीमिया है तो ग्रीन टी ज्यादा पीने से परेशानी बढ़ सकती है। ऐसे में आप खाने के साथ ग्रीन टी या कोई भी चाय न लें।
• कैफीन ज्यादा मात्रा में लेने से शरीर में कैल्शियम कम जज्ब हो पाता है। इससे ऑस्टियोपॉरोरिस का खतरा बढ़ जाता है।
• प्रेग्नेंट या बच्चे को दूध पिलानेवालीं महिलाओं को दिन में 2 कप से ज्यादा ग्रीन टी नहीं पीनी चाहिए। मां के दूध के जरिए बच्चे में भी कैफीन जाता है जो उसके लिए सही नहीं है।
कुछ और तरह की चाय
• ब्लैक टी
चाय को दूध और चीनी मिलाए बिना पिया जाए तो उसे ब्लैक टी कहते हैं। चाय ब्लैक टी के रूप में पीना ही सबसे सेहतमंद है, लेकिन जिंन्हें एसिडिटी की समस्या है, उन्हें ब्लैक टी से बचना चाहिए।
• टी बैग्स
टी बैग्स को इंस्टेंट टी कहा जाता है। आम चाय के प्रोसेस के दौरान चाय के जो बारीक कण उड़ते हैं, उससे टी बैग्स बना दिए जाते हैं। टी बैग्स में टैनिक एसिड होता है जो नेचरल एस्ट्रिंजेंट होता है।
• लेमन टी
नीबू की चाय सेहत के लिए अच्छी होती है क्योंकि चाय के जिन एंटी-ऑक्सिडेंट्स को बॉडी एब्जॉर्ब नहीं कर पाती, नीबू डालने से वे भी एब्जॉर्ब हो जाते हैं। इस तरह यह फायदेमंद है।
• मशीन वाली चाय
रेस्तरां, दफ्तरों, रेलवे स्टेशनों, एयरपोर्ट आदि पर आमतौर पर मशीन वाली रेडीमेड चाय मिलती है। इस चाय का कोई फायदा नहीं होता इसमें एंप्टी कैलरी यानी सिर्फ कैलरी होती हैं।
• आइस टी
आइस टी में चीनी काफी ज्यादा होती है, इसलिए इसे पीने का कोई फायदा नहीं है। इसे खालिस स्वाद के लिए पी सकते हैं, वह भी कभी-कभार। हेल्थ की दृष्टि से यह ज्यादा अच्छी नहीं है।
यूं तो बाजार में ग्रीन टी के कई बेहतरीन ब्रैंड मौजूद है। इनमें से कुछ प्रमुख ब्रैंड हैं:
• Tetley
• Chamong
• Organic India
• Lipton
• GAIA
• Taj Mahal
• TWININGS
24 Mantra
कितनी तरह की होती है चाय
• सीटीसी (कट, टीयर एंड कर्ल)
यह अलग-अलग ब्रैंड्स के तहत बिकने वाली चाय है जो आमतौर पर घर, रेस्तरां और होटल आदि में इस्तेमाल की जाती है। इसे तैयार करने में आमतौर पर चाय की बड़ी और गहरी हरी पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें सुखाकर दानों का रूप दिया जाता है। इस प्रोसेस के दौरान कुछ चीजें डाल कर चाय का टेस्ट बेहतर किया जाता है और इसकी महक भी बढ़ाई जाती है। लेकिन इससे यह ज्यादा नेचरल नहीं रहती और न ही हेल्थ के लिए ज्यादा फायदेमंद।
• ग्रीन टी (नेचरल टी)
यह चाय की नरम पत्तियों से बनती हैं। यह चाय बेहद गुणकारी है। इसे प्रोसेस नहीं किया जाता। इसे पत्तियों को सुखाकर तैयार किया जाता है। वैसे, सीधे पत्तियों को तोड़कर भी चाय बना सकते हैं। इसमें एंटी-ऑक्सिडेंट सबसे ज्यादा होते हैं। ग्रीन टी काफी फायदेमंद होती है, खासकर अगर बिना दूध और चीनी की पी जाए। इसमें कैलरी भी नहीं होती। वैसे, ग्रीन टी से ही हर्बल और ऑर्गेनिक टी आदि तैयार की जाती हैं। इस रूप में ग्रीन टी सेहत के लिए और भी फायदेमंद हो जाती है।
ग्रीन टी तरह-तरह की होती है...
• ऑर्गेनिक टी: जिस चाय के पौधों में पेस्टिसाइड और केमिकल फर्टिलाइजर आदि नहीं डाले जाते, उनसे तैयार चाय को ऑर्गेनिक टी कहा जाता है। यह सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद है। ऑर्गेनिक टी अलग-अलग फ्लेवर में भी मिलती है।
• वाइट टी: यह सबसे कम प्रोसेस्ड टी है। कुछ दिनों की कोमल पत्तियों से इसे तैयार किया जाता है। इसका स्वाद हल्का मीठा और काफी अच्छा होता है। इसमें कैफीन सबसे कम और एंटी-ऑक्सिडेंट सबसे ज्यादा होते हैं। इसके एक कप में सिर्फ 15 एमजी कैफीन होता है, जबकि ब्लैक टी के एक कप में 40 एमजी और ग्रीन टी में 20 एमजी कैफीन होता है।
• हर्बल टी: ग्रीन टी में कुछ जड़ी-बूटियां मसलन तुलसी, अदरक, अश्वगंधा, इलायची, दालचीनी आदि मिला देते हैं तो हर्बल टी तैयार होती है। इसमें कोई एक या तीन-चार हर्ब मिलाकर भी डाल सकते हैं। यह सर्दी-खांसी में काफी फायदेमंद होती है, इसलिए दवा की तरह भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसमें जैसमिन, पेपरमिंट, चैमिमाइल, फ्लोरल जैसी कई वैरायटी आती हैं। हालांकि सभी तरह की हर्बल टी पर पूरा भरोसा भी नहीं किया जा सकता क्योंकि यह पता करना काफी मुश्किल है कि उसमें कौन-सी हर्ब्स (जड़ी-बूटियां) इस्तेमाल की गई हैं और उनकी क्वॉलिटी कैसी है।
आजकल स्ट्रेस रीलिविंग (तनाव कम करनेवाली), रिजूविनेटिंग (स्फूर्तिदायक) और स्लिमिंग टी (वजन कम करनेवाली) भी खूब चलन में हैं। इनमें कई तरह की जड़ी-बूटियां आदि मिलाई जाती हैं। मसलन ब्राह्मी रिलैक्स करती है तो दालचीनी ताजगी देती है और तुलसी हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। इसी तरह स्लिमिंग टी में वजन कम करने वाले तत्व पाए जाते हैं। हालांकि इसके साथ एक्सरसाइज और डाइट कंट्रोल भी जरूरी है।
ग्रीन टी के फायदे
• ग्रीन टी में ज्यादा मात्रा में बेस्ट एंटी-ऑक्सिडेंट होते हैं जो बढ़ती उम्र से शरीर के सेल्स को होनेवाले नुकसान को कम करते हैं और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर कई बीमारियों से बचाव करते हैं।
• किसी भी तरह की चाय में कैफीन होते हैं जो स्टीमुलेटर होते हैं। इनसे शरीर में फुर्ती का अहसास होता है। कैफीन आपको अलर्ट और स्मार्ट बनाता है। हालांकि कैफीन लिमिट में ही लेना चाहिए।
• ग्रीन टी में मौजूद एल-थियेनाइन नामक कंपाउंड दिमाग को ज्यादा अलर्ट, लेकिन शांत रखता है यानी ब्रेन बेहतर काम करता है।
• ग्रीन टी में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। इससे इन्फेक्शन का खतरा कम होता है।
• यह BMR यानी बेसल मेटाबॉलिक रेट को बढ़ाती है। इससे वजन कम करने में मदद मिलती है।
ग्रीन टी की अति से नुकसान
कहते हैं ना कि अति किसी भी चीज की बुरी होती है। यह बात ग्रीन टी पर भी लागू होती है। दिन भर में 5 कप से ज्यादा ग्रीन टी पीने पर इसमें मौजूद कैफीन और टैनिन पेटदर्द, उलटी, कब्ज, सिरदर्द, नींद न आना, बेचैनी, डायरिया, सीने में जलन, चक्कर आना, कानों में झनझनाहट आदि की वजह बन सकते हैं। ग्रीन टी ज्यादा पीने से ये नुकसान भी हो सकते हैं।
• ग्रीन टी में मौजूद टैनिन पेट दर्द या कब्ज की वजह बन सकता है। जिन लोगों के पेट में अल्सर हो या एसिडिटी की दिक्कत ज्यादा रहती हो उन्हें ग्रीन टी ज्यादा नहीं पीनी चाहिए।
• ग्रीन टी ज्यादा पीने से खाने में मौजूद आयरन खासकर नॉन-हीम आयरन शरीर अच्छी तरह अब्जॉर्ब नहीं कर पाता। नॉन-हीम आयरन अंडे, डेयरी प्रॉडक्ट्स के अलावा पौधों (फल-सब्जियों, अनाज, नट्स आदि) में पाया जाता है। ग्रीन टी में अगर नीबू मिला लिया जाए या इसे विटामिन-सी वाले खाने (ब्रोकली आदि) के साथ पिएं तो नॉन-हीम आयरन बेहतर जज्ब होता है।
• अगर आपको अनीमिया है तो ग्रीन टी ज्यादा पीने से परेशानी बढ़ सकती है। ऐसे में आप खाने के साथ ग्रीन टी या कोई भी चाय न लें।
• कैफीन ज्यादा मात्रा में लेने से शरीर में कैल्शियम कम जज्ब हो पाता है। इससे ऑस्टियोपॉरोरिस का खतरा बढ़ जाता है।
• प्रेग्नेंट या बच्चे को दूध पिलानेवालीं महिलाओं को दिन में 2 कप से ज्यादा ग्रीन टी नहीं पीनी चाहिए। मां के दूध के जरिए बच्चे में भी कैफीन जाता है जो उसके लिए सही नहीं है।
कुछ और तरह की चाय
• ब्लैक टी
चाय को दूध और चीनी मिलाए बिना पिया जाए तो उसे ब्लैक टी कहते हैं। चाय ब्लैक टी के रूप में पीना ही सबसे सेहतमंद है, लेकिन जिंन्हें एसिडिटी की समस्या है, उन्हें ब्लैक टी से बचना चाहिए।
• टी बैग्स
टी बैग्स को इंस्टेंट टी कहा जाता है। आम चाय के प्रोसेस के दौरान चाय के जो बारीक कण उड़ते हैं, उससे टी बैग्स बना दिए जाते हैं। टी बैग्स में टैनिक एसिड होता है जो नेचरल एस्ट्रिंजेंट होता है।
• लेमन टी
नीबू की चाय सेहत के लिए अच्छी होती है क्योंकि चाय के जिन एंटी-ऑक्सिडेंट्स को बॉडी एब्जॉर्ब नहीं कर पाती, नीबू डालने से वे भी एब्जॉर्ब हो जाते हैं। इस तरह यह फायदेमंद है।
• मशीन वाली चाय
रेस्तरां, दफ्तरों, रेलवे स्टेशनों, एयरपोर्ट आदि पर आमतौर पर मशीन वाली रेडीमेड चाय मिलती है। इस चाय का कोई फायदा नहीं होता इसमें एंप्टी कैलरी यानी सिर्फ कैलरी होती हैं।
• आइस टी
आइस टी में चीनी काफी ज्यादा होती है, इसलिए इसे पीने का कोई फायदा नहीं है। इसे खालिस स्वाद के लिए पी सकते हैं, वह भी कभी-कभार। हेल्थ की दृष्टि से यह ज्यादा अच्छी नहीं है।
यूं तो बाजार में ग्रीन टी के कई बेहतरीन ब्रैंड मौजूद है। इनमें से कुछ प्रमुख ब्रैंड हैं:
• Tetley
• Chamong
• Organic India
• Lipton
• GAIA
• Taj Mahal
• TWININGS
24 Mantra
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